ग्वालियर। श्रीप्रकाश सिंह निमराजे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं डॉ.माया एस एच गोपाल किरन समाजसेवी संस्था ने कहा कि 25 अप्रैल 2025 को फुले फिल्म रिलीज़ हो गई है, जो भारत के सामाजिक और शैक्षिक क्रांति के अगुवा महानायकों, महात्मा ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले की अमर गाथा को उजागर करती है। कुछ कुटिल ताकतों ने इस फिल्म को रोकने की घृणित साजिश रची, लेकिन सत्य का प्रकाश इन अंधेरों को चीरकर सामने आया है।
ज्योतिबा और सावित्रीबाई ने आधुनिक भारत के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। उन्होंने जातिवाद, छुआछूत और अंधविश्वास के खिलाफ ऐतिहासिक युद्ध छेड़ा। ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले ने 1848 में भारत का पहला बालिका विद्यालय खोलकर नारी शिक्षा और सशक्तिकरण की क्रांति शुरू की। वंचितों के लिए 18 स्कूल स्थापित कर, उन्होंने समानता और न्याय का नया युग रचा। फुले के साहस, दृढ़ता और प्रगतिशील विचारों ने भारत को एक आधुनिक, समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की राह दिखाई।
देश के हर सभ्य नागरिक का कर्तव्य है कि वह सिनेमाघरों में जाकर फुले फिल्म देखे और इस ऐतिहासिक जोड़े के बलिदान को सलाम करे! फिल्म बनाने वाले साथियों का हौंसला अफजाई करें, जिससे अन्य अन्य लोगो को भी समाज परिवर्तन को समर्पित सार्थक फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन मिल सके।यह फिल्म मात्र मनोरंजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो हमें बदलाव की प्रेरणा देता है। सरकार को चाहिए कि इस फिल्म को कर-मुक्त करे, ताकि हर भारतीय इस प्रेरणादायक कहानी तक पहुंच सके। फुले फिल्म जरूर देखिए, इतिहास को जीवंत करो, और नए भारत के निर्माण में हिस्सा बनो! कल परसों सिनेमाघरों में जाएं, यह अवसर न गवाएं। विरोध करना उचित नहीं है वही व्यक्ति हो सकते है जो समाज में समता मूलक समाज की प्रगति मै बाधक है।